Jul 26, 2017

કારગીલ યુધ્ધ ( વિજય દિવસ)

  २६ जुलाइ कारगील विजयदिन पर जानकारी
सौजन्य-विकिपिडिया



कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है।


पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊँचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था।

परिणाम

पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फ़िल्में बनीं जिनमें एल ओ सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य हैं।

कारगिल का युद्ध क्यों हुआ

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख करामात के बीच १९९८ के करीब, मतभेद बढ गये थे। करामात की सेवानिवृत्ति के पश्चात किसे सेना प्रमुख बनाया जाय इस बात पर भी बहस चल रही थी। नवाज़ शरीफ ने एक आमसभामें अपने ऊपर टीका-टिप्पणी की इस बात से गुस्सा होकर करामात ने सेना प्रमुख पद से इस्तिफा दे दिया।नवाज शरीफ ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया जाय इस बात पर भी बहस चल रही थी। नवाज़ शरीफ ने एक आमसभामें अपने ऊपर टीका-टिप्पणी की इस बात से गुस्सा होकर करामात ने सेना प्रमुख पद से इस्तिफा दे दिया।


STORY OF KARGIL FIGHT IN HINDI
कारगिल युद्ध वही लड़ाई थी जिसमें पाकिस्तानी सेना ने द्रास-कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी. भारतीय सेनाओं ने इस लड़ाई में पाकिस्तानी सेना तथा मुजाहिदीनों के रूप में उसके पिट्ठुओं को परास्त किया. आम तौर पर कारगिल युद्ध को भी 1947-48 तथा 1965 में पाकिस्तानी सेना द्वारा कबीलाइयों की मदद से कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिशों के एक अंग के रूप में देखने की प्रवृत्ति रही है.
वास्तव में कारगिल युद्ध कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के जिहादियों के 20 वर्ष से जारी अभियान का एक महत्वपूर्ण बिंदु है और यह अनेक मामलों में पहले की दोनों लड़ाइयों से भिन्न है.


कारगिल युद्ध के तीन चरण रहे. पहला, पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया. दूसरा, भारत ने घुसपैठ का पता लगाया और अपने बलों को तुरंत जवाबी हमले के लिए लामबंद करना शुरू किया तथा तीसरा, भारत और पाकिस्तान के बलों के बीच भीषण संघर्ष हुआ और पड़ोसी देश की शिकस्त हुई.
Reason of Kargil Fight
माना जाता है कि भारत ने इस 'ऑपरेशन विजय' का जिम्मा प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब दो लाख सैनिकों को सौंपा था. जंग के मुख्य क्षेत्र कारगिल-द्रास सेक्टर में करीब तीस हजार सैनिक मौजूद थे. इस युद्ध के बाद पाकिस्तान के 357 सैनिक मारे गए, लेकिन बताया जाता है कि भारतीय सेना की कार्रवाई में उसके चार हजार सैनिकों की जान गई. भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए. विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है.
कारगिल युद्ध की मुख्य वजह
कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है.
मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने उस इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी का पता दिया. शुरू में भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को जिहादी समझा और उन्हें खदेड़ने के लिए कम संख्या में अपने सैनिक भेजे, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की ओर से हुए जवाबी हमले और एक के बाद एक कई इलाकों में घुसपैठियों के मौजूद होने की खबर के बाद भारतीय सेना को समझने में देर नहीं लगी कि असल में यह एक योजनाबद्ध ढंग से और बड़े स्तर पर की गई घुसपैठ थी, जिसमें केवल जिहादी नहीं, पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी. यह समझ में आते ही भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें 30,000 भारतीय सैनिक शामिल थे.
थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया.
कारगिल युद्ध का अंजाम
दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था और आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत पा ली गई. यही दिन अब ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.